भारत ज्ञान विज्ञान समिति का 11 वें राष्ट्रीय परिषद के सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन भी तीन सत्र चला। प्रथम सत्र का विषय.

धनबाद 21 जनवरी,

भारत ज्ञान विज्ञान समिति का 11 वें राष्ट्रीय परिषद के सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन भी तीन सत्र चला। प्रथम सत्र का विषय “समता एवं समाजिक न्याय” दूसरे सत्र का विषय “पर्यावरण संकट, कृषि एवं आजीविका” तीसरे सत्र का विषय “ज्ञान विज्ञान आंदोलन और युवा था।

हरियाणा की मनीषा ने गजल पेश की, जिसके बोल थे.. “रात का वक्त है संभल कर चलो, खुद से आगे जरा संभल कर चलो, रास्ते पर जमी है बर्फ, अपने पैरों पर आग मल कर चलो”

मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों द्वारा “ज्ञान का दिया चल पड़ा है,

काफिला बना रहे रौशनी का सिलसिला” गीत पेश किया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि इस समय सबसे बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है कि सभी तबके के पास ज्ञान और विज्ञान का रौशनी को लेकर चला जाए, काफी लंबे संघर्षों के बाद शिक्षा का अधिकार हमें मिला था, अब इस अधिकार को समाप्त करने का प्रयास हो रहा है, हमें इसे बचाने के लिए संघर्ष करना होगा। हम सामाजिक परिवर्तन करने के लिए विज्ञान आंदोलन करते है और इस कार्य को हम जनवादी तरीके से करते हैं। हमें ज्ञान को चर्चा गांव गांव तक करने की जरूरत है। कोविड के बाद जो स्कूल बंद पड़े है उन स्कूलों को खुलवाना बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है। एक तरफ अंधविश्वास है, दूसरी तरफ ज्ञान और विज्ञान है। स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि गांवों में 80 प्रतिशत बीमारी गंदे पानी पीने के कारण होती है, शहरों में भी अप्रवासी मजदूर भी स्वच्छ वातावरण में नहीं रहने के कारण बीमार हो रहे हैं। कोविड़ काल ने हमारे देश की खोखली स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। हमे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाने के लिए संघर्ष करना होगा। हमारे जो युवा मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं हैं, उनके साथ हमें संवाद स्थापित करने की जरूरत है।

वक्ताओं में सी. रामकृष्णन, आशा मिश्रा, काशीनाथ चटर्जी, ओपी भूरेटा, सत्यवान पुंडीर, अशर्फी सदा, कोमल श्रीवास्तव शामिल थे।

अन्त में ज्ञान विज्ञान समिति की 21 सदस्यीय नई केंद्रीय कमिटी का चुनाव किया गया जिसमें राजस्थान की कोमल श्रीवास्तव अध्यक्ष और हिमाचल के ओम प्रकाश भूरेटा महासचिव चुने गए।

उपाध्यक्ष में डा. काशी नाथ चटर्जी, आशा मिश्रा, प्रमोद गौरी, कोषाध्यक्ष ब्लोरिन मोहंती संयुक्त सचिव विप्लब घोष व शिल्पा जैन, रवि कुमार सिंह, डा. मोहना, मुरलीधर, अजीजुल हक, सुनीता विष्ठ, अनिता रामपाल , पवन पवार , अमित सरकार , उमा भट , सिमंती कुमारी , एम. पी. परमेश्वरम , डॉ. सत्यजीत रथ , कार्यकारिणी सदस्य चुने गए।

सम्मेलन को सफल बनाने में हेमंत मिश्रा, विकास कुमार ठाकुर, हेमंत जायसवाल, मुमताज़ आलम, परेश नाथ बनर्जी , सपन मांझी, रजनीकांत मिश्रा, रानी मिश्रा, मिठू दास, संजीत भंडारी, हकीमुद्दीन अंसारी,रवि सिंह, राजू बाउरी, मधेश्वर नाथ भगत, सविता कुमारी ,परेश बनर्जी, सरस्वती देवी, भोला सिंह, भोला नाथ राम, विश्वनाथ सिंह, संगीता(गिरिडीह), मैत्री गुप्ता , विकास गुप्ता, देवाशीष वैद्य,असीम हलधर, प्रेम मोहाली, सुजीत महतो , दिग्विजय सिंह, आलम अंसारी, पूजा सरकार,जैनेंद्र कुमार , सौरव चटर्जी आदि की सक्रिय भूमिका रही।

समापन सत्र में अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क की महासचिव आशा मिश्रा ने एक गीत प्रस्तुत की जिसके बोल थे ” तू जिंदा है तो जीत पर यकीन कर , अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर ” के साथ तीन दिवसीय बैठक की समापन की गई ।

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