सुभाष चंद्र बोस का संपूर्ण जीवन युवक यूवतियों के लिए आदर्श है l

सुभाष चंद्र बोस का संपूर्ण जीवन युवक यूवतियों के लिए आदर्श है l

अंचल अधिकारी ,बलियापुर

कस्तूरबा विद्यालय बलियापुर में मनाई गई सुभाष चंद्र बोस जयंती l

मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अंचल अधिकारी बलियापुर प्रवीण कुमार सिंह ने बताया की सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी एवं बड़े नेता थे, जिन्होंने भारत को आजाद करने के लिए आईसीएस की नौकरी छोड़ी, उनके द्वारा दिया गया *जय हिंद* का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बना और उनके नारे आज भी हमारे कानों में गूंजते हैं *तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा*

देशवासी प्यार से उन्हें नेताजी के नाम से बुलाते हैं l

सुभाष चंद्र बोस जब कोलकाता नगर निगम में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी थे उस समय उन्होंने कई अंग्रेजी नाम के सड़कों का नामकरण भारतीय शब्दों में किया था l

आजाद हिंद फौज की स्थापना और उसके सर्वोच्च लीडर के रूप में जापान की मदद से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और *21 अक्टूबर 1943 को अंडमान निकोबार दीप समूह में भारत की अस्थाई सरकार बनाई*

जिसे विश्व के तत्कालीन 11 देशों ने मान्यता भी प्रदान कर दी थी l

सुभाष चंद्र बोस का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है कि कैसे अल्प संसाधनों के में उन्होंने इंग्लैंड जाकर आईसीएस की परीक्षा में टॉप किया एवं जापान जाकर आजाद हिंद फौज जैसे बड़ी सेना का गठन किया और देश को आजाद करने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई छेड़ी l

आज जबकि छोटी-छोटी बातों से घबराकर बच्चियां परेशान हो जाते हैं l

वहीं सुभाष चंद्र बोस जीवन पर्यंत देश के लिए लड़ते रहे और अंत में अपने प्राणों की आहुति दे दी l

आज भी उनकी मौत के कारणों का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है लेकिन जो भी हो उनके विचार आज भी भारतीयों के दिलों में जिंदा है और हम सब उनके विचारों से प्रेरणा लेते रहेंगे l

अंचल अधिकारी ने उपस्थित बच्चियों को पढ़ाई के तरीके, परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने के तरीके और अपने आप को तनाव से कैसे दूर रहें इसके भी गुर बताएं l

उन्होंने बताया कि कैसे परीक्षा के समय जब तनाव आता है तो इसे कैसे उबरा जा सकता है ? कैसे आप अपने आप को शांत रखकर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं ? कैसे जीवन की भाग दौड़ में अपने सपने को बुनना ,अपने लक्ष्य को चुनना और उसे पर लगातार प्रयासत रहना यह कैसे संभव हो सकता है ? इस संबंध में भी अंचल अधिकारी ने बच्चों को संबोधित किया l

कस्तूरबा की बच्चियां अंचल अधिकारी से मिलकर और उनके द्वारा बताए गए तरीकों पर काफी खुश हुई और उन्होंने अंचल अधिकारी को अपने विद्यालय में आने के लिए धन्यवाद दिया और दोबारा आने का आग्रह किया l

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