हिजला मेला महोत्सव-2025 के उदघाटन में दिखा लोक-संस्कृति और लोक गीत-संगीत अदभुत संगम*_

हिजला मेला महोत्सव-2025 के उदघाटन में दिखा लोक-संस्कृति और लोक गीत-संगीत अदभुत संगम*_

_*संथाल परगना की संस्कृति बिखेरती उल्लास जुलूस के साथ राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2025 का पारंपरिक रूप से उद्घाटन किया गया।*_

*मेला क्षेत्र में विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल लगाकर सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रेषित की जा रही है।*

मयूराक्षी नदी के तट पर 21 फरवरी से 28 फरवरी तक आयोजित होने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव-2025 का विधिवत शुभारंभ किया गया।उद्घाटन से पूर्व उल्लास जुलूस निकाला गया, जिसमें काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग परंपरागत परिधान पहनकर पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ शरीक हुए।महोत्सव की शुरुआत से पूर्व हिजला मेला परिसर में स्थित मांझी थान में विधिवत पूजा अर्चना की गई।स्थानीय ग्राम प्रधान ने फीता काटकर मेले का उदघाटन किया।इसके उपरांत अनुमंडल पदाधिकारी अभिनव प्रकाश ने मंच के समीप ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की।मेले के उद्घाटन सत्र में विभिन्न विद्यालयों के छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।इसके साथ ही छऊ नृत्य और नटवा नृत्य भी पेश किए गए।

 

यह मेला जनजातीय समाज के सांस्कृतिक संकुल की तरह है। जिसमें सिंगा-सकवा, मांदर व मदानभेरी जैसे परंपरागत वाद्ययंत्र की गूंज तो सुनने को मिलती ही है।झारखंडी लोक संस्कृति के अलावा अन्य प्रांतों के कलाकार भी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। बदलते समय के साथ इस मेले को भव्यता प्रदान करने की कोशिशें सरकार द्वारा लगातार होती रही हैं। मेला क्षेत्र में कई आधारभूत संरचनायें विकसित हो गयी हैं, जो मेले के उत्साह को दाेगुणा करने में सहायक साबित हो रहा है।

 

महोत्सव के पूरे अवधि में कृषि प्रदर्शनी, ट्राइबल म्यूजियम और विभिन्न विभागों के स्टॉल मेला में आने वाले लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।ये प्रदर्शनियां न केवल झारखंड की पारंपरिक कृषि पद्धतियों और जनजातीय जीवनशैली को दर्शाती हैं,बल्कि नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता भी बढ़ाती हैं।

 

अपने संबोधन में उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने कहा कि इस मेले में यहाँ की संस्कृति,लोकसंगीत की अदभुत झलक देखने को मिलती है।संथाल परगना की संस्कृति,खानपान,नृत्य,लोकसंगीत सहित जनजातीय समाज से जुड़ी कई जानकारियों का यह मेला संगम है।पूरे मेला अवधि में संताल परगना की कला संस्कृति की झलक, नवीन क़ृषि तकनीक देखने को मिलेगी, जबकि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराने का यह बड़ा मंच साबित होगा।उन्होंने कहा कि इस मेले के आयोजन का इंतज़ार यहां के लोगों के द्वारा पूरे वर्ष किया जाता है।कहा कि अधिक से अधिक लोग इस मेले में आएं एवं यहां के गौरवशाली संस्कृति को देखें यही हमारा प्रयास है।उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि किसी भी प्रकार के विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न नहीं हो इसका ध्यान रखे।

 

अपने संबोधन में जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा ने कहा कि यह सिर्फ मेला नहीं हमारी परंपरा हमारी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।जनजातीय समाज की संस्कृति,संगीत,नृत्य रहन सहन सहित और भी कई महत्वपूर्ण बातों को इस मेले के माध्यम से समझा जा सकता है।उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर इस आयोजन को सफल बनाएं इस आयोजन का हिस्सा बनाएं।

 

इसके उपरांत अतिथियों ने स्टॉल का निरीक्षण किया।

 

दुमका से जोशी न्यूज़ रिपोर्टर हेमंत स्वर्णकार की रिपोर्ट

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