असैनिक अभियंत्रण बिभाग , बीआईटी एवं इंस्टिटूशान ऑफ़ इंजिनियरस इंडिया , धनबाद लोकल

असैनिक अभियंत्रण बिभाग , बीआईटी एवं इंस्टिटूशान ऑफ़ इंजिनियरस इंडिया ,

धनबाद लोकल सेंटर के संयुक्त तत्वाधान में 56 वें एनीर्स डे मनाया गया. इस साल एंगिनीर्स डे का थीम “इंजीनियरिंग अ रेज़िलीएण्ट फ्यूचर: स्ट्रॉन्गर, स्मार्टर, सेफर” था. कार्यक्रम की शुरूआत संयुक्त सचिव के गरिमामाय उपस्थिति में संस्थान के शिक्षकगण एवं इंस्टिटूशान ऑफ़ इंजिनियरस इंडिया , धनबाद लोकल सेंटर पदाधिकारियों द्वारा दीपप्रज्वलित एवं मोक्षगुंडम विश्वेश्वरया के प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ I इस आयोजन का संचालन सहायक प्राध्यापक प्रशांत मालवीय, प्रभारी सहायक-प्राध्यापक, ए.सी.ई. बीआईटी सिंदरी ने किया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि झारखंड सरकार के हायर एंड टेक्निकल एजुकेशन विभाग के संयुक्त सचिव मि. जॉर्ज कुमार एवं आईआईटी आईएसएम धनबाद के प्राध्यापक (डॉ.) एस.के. गुप्ता थे। इस कार्यक्रम में सभी डीन, विभागाध्यक्ष और सिविल इंजीनियरिंग के प्राध्यापक गण एवं असैनिक अभियंत्रण विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस आयोजन में बीआईटी सिंदरी के निदेशक डॉ. पंकज राय, असैनिक अभियंत्रण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितु कुजुर, टेक्नो इंडिया विश्वविद्यालय, कोलकाता के वर्तमान निदेशक एवं पूर्व आई.ई.आई. सचिव डॉ. एम.के. चंद्र, आई.ई.आई. धनबाद लोकल सेंटर के सचिव डॉ. बिश्वजित पॉल और विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. विक्रमा पांडे जैसे अग्रगण्य अतिथियों ने मंच साँझा किया।
असैनिक अभियंत्रण विभाग की सह-प्राध्यापक डॉ. माया राजनारायण रे ने डॉ. एम. विश्वेश्वरया की जीवनी पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात डॉ. विक्रमा पांडे ने इंजीनियरस डे के थीम पर बिस्तृत ब्याख्यान दिया। फिर झारखंड सरकार के हायर एंड टेक्निकल एजुकेशन विभाग के संयुक्त सचिव मि. जॉर्ज कुमार ने डॉ. एम. विश्वेश्वरया के काम के प्रभाव और महत्व पर प्रकाश डाला और उन युवा तकनीकज्ञों को बताया कि इंजीनियरिंग का अध्ययन करना एक गर्व की बात है। निदेशक डॉ. पंकज राय ने अपने भाषण में इंजीनियरों की क्षमताओं की प्रशंसा की और उनके द्वारा वैश्विक परिवर्तन के उनके अथक प्रयासों की महत्ता को सामने रखा। उनके प्रेरणास्पद शब्दों के बाद, डॉ. जितु कुजुर ने सिविल इंजीनियरिंग में असीमित संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। डॉ. एम.के. चंद्र ने सिविल इंजीनियर की नई पीढ़ी से अभियांत्रिकी के नवीनीकरण और उसमें सॉफ्टवेयर की भागीदारी की बात की। इनके बाद डॉ. एस.के. गुप्ता एवं डॉ. बिश्वजीत पाल ने भी सभा को संबोधित किया। इन सब के उपरांत असैनिक अभियंत्रण विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री निपेन कुमार दास ने सभा को संबोधित करते हुए धन्यवाद ज्ञापन रखा।
इसके उपरान्त तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ। असैनिक अभियंत्रण विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. बी.डी. यादव ने सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. एस.के. गुप्ता का परिचय दिया। इसके बाद डॉ. गुप्ता ने अपने अनुसंधान पर आधारित प्रस्तावना पेश की, जिसमें “सम्मिलित नदी स्वास्थ्य जांच प्रणाली” पर विचारग्रंथ किया गया। इस प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आधुनिक प्रौद्योगिकियों का संयोजन होता है जो नदी स्वास्थ्य को निरंतर मॉनिटर करता है और इसके लाभ को मूल रूप से पारंपरिक समस्याओं के नवाचारिक समाधान प्रदान करता है, साथ ही सतत पर्यावरण के पीछे जारी दुष्प्रभावों का समर्थन करता है। डॉ. गुप्ता ने ऐप पर भी विस्तार से चर्चा की, जिसमें प्रदूषण और बाढ़ की चेतावनी विवरण दिए गए। प्रस्तावना के बाद, असैनिक अभियंत्रण विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिजित आनंद सभा को संबोधित करते हुए धन्यवाद ज्ञापन रखा। इस आयोजन के समापन पर, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रशांत रंजन मालवीय ने निदेशक, मान्य अतिथियों, शिक्षकों, समन्वयकों, और दर्शकों को धन्यवाद दिया, और सभा की समाप्ति की घोषणा की।

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