सुदामदी थाना क्षेत्र में अवैध बालू कारोबारियों का संगरक्षक खाखी ही धनबाद।

अवैध बालू कारोबारियों का संगरक्षक खाखी ही धनबाद।
नदी घाटों से बालू उठाव पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देशभर में रोक लगा रखी थी, जो खनन विभाग जिले में 19 बालू घाटों की नीलामी अक्टूबर महीने में दो चरणों में पूरी की। इसकी मंजूरी राज्य सरकार से हुई थी। जिला खनन विभाग ने अक्टूबर में जिन बालू घाटों की नीलामी की, उनमें रतनपुर, चुरुरिया, मोहलीडीह, कोलहर, लुकईया, उकमा मैरनवाटांड़, तेलमच्चो, हरिहरपुर, डूमर कुंडा, चिरकुंडा नगर पंचायत, पांडरा बैजरा, सिजुआ, मोहलीडीह, बिशुनपुर, जीतपुर, चैता और खानूडीह शामिल हैं।
विभाग के अनुसार, पहले चरण में नौ घाटों की निविदा हुई। इनमें टुंडी, तोपचांची और बाघमारा प्रखंड के रतनपुर, चुरुरिया, मोहलीडीह, कोलहर, लुकईया, उकमा मैरनवाटांड़, तेलमच्चों, हरिहरपुर बालू घाट शामिल थी। इनके चालू होने के बाद दूसरे घाटों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई। *रोक के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा बालू उठाव* भले एनजीटी ने रोक लगा रखी हो, लेकिन इसके बावजूद धनबाद में बालू का अवैध कारोबार धड़ल्ले से हो रहा था, है और होता रहेगा, क्योंकि जब खाखी ही अवैध कारोबारियों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर रहेंगे तो अन्य की क्या विशात।इसी बालू से रोज सरकारी व गैर सरकारी भवनों की नींव और छत भी तैयार हो रही है। विभागीय स्तर पर दावा किया जाता है कि यह पुराना स्टाॅक है, लेकिन अगर जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए, पर कौन इतनी जेहमत उठता है। बुधवार को जब पाथरडीह एवं सुदामडीह क्षेत्र में अवैध बालू का ट्रैक्टर देखा गया तो जाँच किया गया कि ये बालू का उठाव कहाँ से की जा रही है तो पाया गया कि बिरसा पुल एवं बिनोद पुल के पास के घाट से की जा रही है और ट्रैक्टर थाना के सामने से जाती है, पर उस ट्रैक्टर को रोकनेवाला कोई नहीं है। ऐसे में दिलचस्प बात होगी कि आखिर इन अवैध कारोबारियों पर लगाम कौन लगाएगा।