आखिर किस कोयले से उगल रही है धुंआ चिमनी ईंट भट्ठों की चिमनियां?

*आखिर किस कोयले से उगल रही है धुंआ चिमनी ईंट भट्ठों की चिमनियां?

धनबाद में व्यापक पैमाने पर कोयला चोरी तो बंद है,लेकिन हेराफेरी पर पूर्णविराम कतई नहीं लगा है। धनबाद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्जनों चिमनी ईंट भट्ठों की चिमनियां मजे से चोरी के कोयले से धुंआ उगल रही है। प्रत्येक ईंट भट्ठा को प्रतिदिन 7 से 10 टन कोयला चाहिए ही चाहिए। आखिर ये कोयला कहां से उन्हें प्राप्त होता है। यह एक यक्ष प्रश्न है। न तो इन्हें लिंकेज मिला है और न ये डीओ लगाते हैं। हर भट्ठे में सूर्योदय से पहले बाइक से आवश्यक कोयला गिर जाता है। ये भट्ठे लगातार सात माह तक अनवरत ईंट पकाई का काम करते हैं। प्रतिदिन न्यूनतम 7 टन की खपत मान लिया जाय तो एक माह में 200 टन से अधिक कोयला की जरूरत होती है। इस प्रकार 7 महीने में 1400 टन अवैध कोयला ये खपाते हैं। सौ भट्ठे संचालित हैं तो 1 लाख 40 हजार टन सरकारी कोयला अवैध तरीके से छाई में तब्दील हो जाता है।इसे देखने वाला कोई विभाग नहीं है। पुलिस और माइनिंग विभाग की मिलीभगत से ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है। सिर्फ सुमन गुप्ता एसपी के कार्यकाल में इसपर विराम लगा था। लोगों को डीओ धारकों से कोयला महंगे दाम पर खरीदने को विवश होना पड़ा था। इधर नए एसपी एच पी जनार्दन के योगदान के बात कोई थानेदार भट्ठा मालिकों को अवैध कोयला लेने की इजाजत नहीं दे रहा था। लेकिन अब खेल शुरू हो गया है। बाजार में चर्चा के मुताबिक अगले 15 फरवरी के बाद पुनः संजीव-दिवाकर राज नमूदार होने की संभावना है। इसके लिए नेटवर्किंग चालू हो गया है। जल्द लोग रिचार्ज कराने के लिए होड़ में होंगे।

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