संस्कारी बनना हो तो सीखें श्रीराम से आशीष आनंद महराज सिंदरी।

*संस्कारी बनना हो तो सीखें श्रीराम से : आशीष आनंद महराज* सिंदरी।

प्रात काल उठि के रघुनाथा। माता पिता गुरु नावहिं माता।। संस्कार क्या होता है, रामजी से सीखना चाहिए। हिन्दू धर्म में संस्कार, आचरण एवं कर्म के प्रति उदारता पर सुरु से ध्यान दिया जाता है, उसी का प्रतिबिम्ब आज समाज के सम्मुख है। सुरु से ही संस्कार के प्रति कर्मठता के अंतर्गत माता – पिता, गुरु को प्रणाम किया जाता है। आज बालकों को बताना पड़ता है तब प्रणाम करते हैं।

संस्कार देने का सही समय जन्म से 5 वर्ष तक होता है। गुरु बताते हैँ कि बालक को कभी न मारें और खास कर 5 से 15 वर्ष के समय बालक में। अगर 15 वर्ष के बाद भी गलती करे तो समझाएँ , उसके बाद भी ना समझें तो प्रताड़ित करें। पर वही बालक जब सोलह वर्ष का हो जाये तो उससे मित्रवत व्यवहार करें, तभी बालक में श्रीराम जैसे संस्कार आ सकेगा। सभा को संबोधित करते हुऐ राष्ट्रीय बजरंग दल के राष्ट्रीय धर्म प्रचारक श्री आशीष आनंद महराज जी, ने कहा कि एकता अखंडता जरूरी है, यज्ञ का मतलब है धर्म परिवर्तन और लव जेहाद जैसे मुद्दे से जागना एवं जगाना। अपने धर्म के प्रति हमेशा सतर्कता एवं उदार रहें, ताकि सभी इस धर्म को अन्यों से बेहतर मानें। यज्ञ को सफल बनाने के लिए आचार्य आशीष पांडे, अभिषेक पांडे, सोनू पाठक, ऋषि पांडे, मुख्य यजमान राघव कु. तिवारी, नगर मंत्री सिंदरी भाजपा कौशल सिंह, शशि सिंह, गणेश सिंह, ललित चौबे, प्रभु सिंह, निपेंद्र झा, अनुभव, दिपु, भोला, अनिरुद्ध सिंह, आशा जोशी, आशा देवी, पंकज मनी, शंकर झा, सतेंद्र सिंह, अशोक सिंह, उपेंद्र एवम सैकड़ों मारुति नंदन यज्ञ कमिटी के लोग की उपस्थिति रही।

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