डीएवी सिंदरी में  तीन दिवसीय शिक्षक क्षमता संवर्धन कार्यशाला का आयोजन

*डीएवी सिंदरी में  तीन दिवसीय शिक्षक क्षमता संवर्धन कार्यशाला का आयोजन

डीएवी पब्लिक स्कूल सिंदरी, धनबाद में डीएवी मैनेजिंग कमिटी,दिल्ली के सेंटर फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस(सीएई) के तत्वावधान में तीन दिवसीय शिक्षक क्षमता संवर्धन कार्यशाला की शुरुआत की गई। सत्र का आरंभ डीएवी सिंदरी के प्राचार्य अशुतोष कुमार व आगत शिक्षक प्रशिक्षको ने किया।कार्यशाला में डीएवी सिंदरी, डीएवी कुसुण्डा सहित कोयला नगर, अलकुसा,मुनीडीह,लोदना, सिंदरी व डीएवी मुगमा से विज्ञान, सामाजिक विज्ञान शारीरिक शिक्षा, संगीत व जीव विज्ञान के कुल 150  शिक्षक-शिक्षिकाएँ शामिल हुए
स्वामी रामकृष्ण आश्रम कोलबिंदी मामरकुदर,चंदनक्यारी से उपस्थित स्वामी शशंकानंद जी ने अपने संबोधन में आज कि शिक्षा प्रणाली  हमें दुर्वल,असहाय ,भीरू , पराधीन और परमुखापेक्षी बना रही है । जीवन का एक मात्र उद्देश्य नौकरी  खोजना रह गया। हमारा भारत कभी भी नौकरीजीवी नहीं रहा हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में किए गए परिवर्तन स्वामी विवेकानंद की वाणी को सत्य साबित कर रही है। भारत का  ८०% जन मानस  गांव में बसता है। वे गाँव छोड़कर शहर को भाग रहे हैं। खेत खलिहान खाली पड़े हैं। भारत में कहा जाता था कि उत्तम खेती, मध्यम बान, अधम चाकरी, भीख निदान  प्राचीन भारत में स्वनिर्भर रोजगार ही धनोपार्जन का  मुख्य उपाय माना जाता रहा है । हमारी समृद्धि के मुख्य साधन स्वतंत्र स्वरोजगार है, बड़े-बड़े कारखाने नहीं, स्वतंत्र उद्योग एवं शिल्प, चिकित्सा, चिकित्सा तथा  आर्युवेदिक औषधि भी स्वरोजगार ही है। हमारी शिक्षा रोजगारोन्मुख होनी चाहिए। यह भावना लोगो में एक शिक्षक ही जागृत कर सकता है। इस अवसर पर डीएवी के प्राचार्य ने कहा कि इस क्षमता संवर्धन कार्यशाला में इस भावना के साथ आप सभी का स्वागत करना चाहता हूँ कि आप यहां से नये नये संकल्पों के साथ अपने विद्यालय लौटे । ऐसा देखा जाता है कि अधिकतर बच्चे पिछली कक्षाओं में की गयी गलतियों को दोहरातें हैं और उन्हें सुधारते नहीं, गलतियों का बोझ बढ़ता जाता है । जैसे-जैसे समय बीतता है, वैसे-वैसे उनका तनाव भी बढ जाता है और फिर उनमे परीक्षा का भय, पढाई करने की इच्छा का न होना, अनावश्यक विचार और नकारात्मक सोच बढ जाती है। ऐसी परिस्थिति में शिक्षक को उनकी क्षमता बढाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे तुम्हारे मन से असुरक्षा की भावना  समाप्त हो  पाएगी और वे अपने अध्ययन में पूरे मनोयोग पूर्वक लग जायेंगे। इस कार्यशाला से अर्जित विचार आप अपने विद्यालय और कक्षाओं में लागू करने का प्रयास करें। कल कार्यशा का समापन होगा । कल का विषय फील्ड स्टडी का शिक्षण में महत्व विषय रखा गया है।

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