विद्युत कर्मी आपने बदहाली का आँसू रोते हैँ और ठीकेदार अनदेखी करने में मसगुल* सिंदरी।

*विद्युत कर्मी आपने बदहाली का आँसू रोते हैँ और ठीकेदार अनदेखी करने में मसगुल* सिंदरी।

जेबीवीएनएल झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड झारखंड राज्य की सबसे बड़ी बिजली वितरण कंपनी जो मुख्य रूप से झारखंड राज्य में डोमेस्टिक एलटी और एचडी उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करती है।

*सुरक्षा किट की भारी कमी*

जेबीवीएनएल में मेंटेनेंस का काम ठेकाकर्मी रॉयल इंटरप्राइजेज द्वारा कराया जाता है। विद्युत विभाग कर्मियों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देता है। बिजली कर्मी बिना सुरक्षा उपकरण के विभाग में एवं खंभे में चढ़कर काम करते अक्सर नजर आते हैं। ठेका कंपनियां बिजली सुधार कार्यों में सुरक्षा की अनदेखी कर रही है। फाल्ट ठीक करते समय विद्युत कर्मी किसी दुर्घटना का शिकार ना हो इसके लिए उन्हें सुरक्षा किट देने की आवश्यकता है, इसमें हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, अर्थिंग चैन, कैप, सीढ़ी, ग्लब्ज, चश्मा, नाइट वर्दी आदि उपकरण शामिल है। मगर बिजली विभाग की व्यवस्था ज्यादातर संविदा कर्मियों के भरोसे है। शहर में मैंडेट कमी बिना विद्युत सुरक्षा उपकरण के खंभे पर चढ़कर मेंटेनेंस का काम करते हैं। पूछने पर उनका तर्क होता है कि बिजली लोकल पावर स्टेशन से बंद करा दी गई है। मगर इतनी ऊंचाई पर चढ़कर काम करते समय ना उनके सर पर हेलमेट , ना सेफ्टी बेल्ट और ना हाथ में सेफ्टी ग्लब्ज होते हैं। इन्हें देखने वाला कोई नहीं है। बिजली सुधार में लापरवाही के चलते पूर्व में कई कर्मियों की मौत और कई गंभीर चोट का सामना करना पड़ा है। ठेका कर्मियों को किट प्रदान करने का जिम्मा ठेकेदार प्रदीप गोराई का होता है, पर गोराई पहले तो फोन नहीं उठाते, साथ ही पता चला है कि मोबाइल में अगर जिसका भी नंबर हो सेव नहीं तो बात नहीं। प्रत्येक अंचल को लगभग 50हजार प्रति माह सेफ्टी किट खरीदने के लिए मिलता है, किन्तु वो कभी भी नहीं खरीदी जाती। इससे सम्बंधित बात करने पर गोराई का कहना है कि सरकार के द्वारा बिल क्लियर नहीं हुआ तो कहाँ से खरीदेंगे, जो घोर लापरवाही है। वहीं कई कर्मचारी अपने पैसे से ग्लब्ज खरीदते हैं।उनका कहना है कि विभाग द्वारा सुरक्षा किट की मांग को अनसुना कर दिया जाता है। हम नौकरी बचाने एवं परिवार के भरण पोषण के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। हमारी तनख्वाह बहुत कम है, जो कभी भी वक्त पर नहीं मिलता। अभी भी 4 माह का तनख्वाह निर्गत होना बाँकि है, जो आश्चर्य की बात है। इतना जोखिम होने के बाद भी हम कर्मी चौबीसों घंटे शहर एवं गांवों में विद्युत बहाल करने में लगे रहते हैं। वे कहते हैं हमें आशा है कि उच्च अधिकारी इस पर संज्ञान लेंगे और हमारी दुर्दशा में सुधार हो। अपनी दुर्दशा पर आँसू बहाते हुए लोगों ने कहा कि लगातार बिजली कर्मियों पर हमला को लेकर एक्सक्यूटिव इंजीनियर मनीष पूर्ति, एसी एस कश्यप और जूनियर इंजिनियर शशि मुंडा आदि से अनुरोध है कि यथोचित कार्यवाही करें, ताकि दहसतगर्दियों पर काबू पाया जा सके।

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