सिंदरी। रावण दहन: परंपरा और तैयारी 

सिंदरी। रावण दहन: परंपरा और तैयारी

रावण दहन का आयोजन हर वर्ष विजयदशमी के अवसर पर किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, और इसे मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस साल भी, आज 9 तारीख को मंदिर समिति के सदस्यों ने रावण दहन की तैयारी का जायजा लिया।

समिति की भूमिका

मंदिर समिति में सचिव दिनेश सिंह, विदेशी सिंह, राज बिहारी सिंह, बृजेश सिंह, अजय सिंह, और कामेश्वर सिंह जैसे गणमान्य सदस्य शामिल थे। इन सदस्यों ने रावण की आकृति, उसके दहन के लिए आवश्यक सामग्री और सुरक्षा उपायों का मूल्यांकन किया। समिति के सदस्यों ने सुनिश्चित किया कि सभी तैयारी समय पर पूरी हो जाएं, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके। 65 वर्षों की परंपरा यह रावण दहन कार्यक्रम 65 वर्षों से जारी है, जो इस स्थान की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। समय के साथ, इस आयोजन में कई बदलाव आए हैं, लेकिन इसकी मूल भावना बरकरार है। हर साल, लोग बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं, जो न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि सामुदायिक एकता और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

तैयारियों की विशेषताएँ. **रावण की आकृति:** रावण की प्रतिमा का निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा किया जाता है, जो इसे विशेष रूप से सजाते हैं। इस बार रावण को और भी भव्य बनाने की योजना है।

 

2. **सुरक्षा व्यवस्था:** सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, समिति ने इस साल विशेष प्रबंध किए हैं। आपातकालीन सेवाएं भी तैयार रखी जाएंगी।

 

3. **आस-पास की सजावट:** कार्यक्रम स्थल को भव्यता प्रदान करने के लिए सजावट की जाएगी, जिससे उपस्थित लोगों को एक आकर्षक दृश्य देखने को मिले।

समाज पर प्रभाव

 

रावण दहन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है; यह सामाजिक एकता और संस्कृति का प्रतीक भी है। इस कार्यक्रम में सभी समुदायों के लोग मिलकर भाग लेते हैं, जो भाईचारे और समर्पण की भावना को बढ़ाता है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस अवसर का आनंद लेते हैं, और यह एक सांस्कृतिक मेला बन जाता है।

निष्कर्ष

 

रावण दहन का यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारे समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है। मंदिर समिति की मेहनत और समर्पण से इस परंपरा को जीवित रखने में मदद मिलती है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धरोहर बनकर रहेगा।

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