गुरु गोविंद दोओ देव, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।

गुरु गोविंद दोओ देव, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।

शिक्षक का दायित्व संसार में सबसे जिम्मेदारी भरा होता है। जैसे उपवन में खिलने वाले प्रत्येक फूल और उससे फैलने वाली महक, एक बगवान के बिना अधूरी है, वैसा ही स्थान एक गुरु का भी हमारे जीवन में हैं। वे हमारी आकांक्षाओं के निर्माता के रूप में कार्य करते हैं, हमारे कौशल को बढ़ावा देते हैं और अपना अमूल्य ज्ञान साझा करते हैं। गुरु किसी भी समाज की पृष्ठभूमि होते है, जिनके सम्मान में ही समाज का कल्याण है। फलतः यही व्यवहार देश को सही आकार देने में मददगार है।

भारत में शिक्षक दिवस शिक्षकों और शिक्षार्थियों के बीच गहरे संबंध का उत्सव है। 5 सितंबर को, हम प्रसिद्ध शिक्षक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाते हैं। वह न केवल शिक्षा के प्रति समर्पित समर्थक थे बल्कि एक प्रतिष्ठित राजनयिक, विद्वान और भारत के पूर्व राष्ट्रपति भी थे। शिक्षक दिवस शिक्षकों के प्रति हमारी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए समर्पित, एक अनूठा अवसर है।

ए-27 में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह में निर्देशक डॉ० पंकज राय, डॉ० घनश्याम एवं डॉ० आर० के० वर्मा ने सम्मिलित होकर विद्यार्थियों को संबोधित किया। समाज में उनके योगदान एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया।

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