छोटी दिवाली या यम चतुर्दशी।  रजनी प्रभा  भारतीय सनातनी संस्कृति में प्रत्येक दिवस की एक विशेष महता होती है। यहां हर दिन विशेष होता है।

छोटी दिवाली या यम चतुर्दशी।  रजनी प्रभा

भारतीय सनातनी संस्कृति में प्रत्येक दिवस की एक विशेष महता होती है। यहां हर दिन विशेष होता है।किसी न किसी पर्व को लेकर लोगों द्वारा हरसोल्लास का वातावरण विद्यमान होता है।हिंदू सभ्यता और संस्कृति में व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है।हम 33 करोड़(कोटि) देवी_देवता के अस्तित्व को स्वीकारते और उनको पूजते हैं।33 कोटि देवी-देवताओं में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है।

आस्था की इसी कड़ी में नरक चतुर्दशी एक मात्र ऐसा दिवस है जिस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना पुरे विधि_विधान से की जाती है।इसे यम दिवाली,छोटी दिवाली,रूप चौदस,नरक चतुर्दशी आदि नामों से भी जानते हैं।कार्तिक मास कृष्ण पक्ष के पंचदिवसीय पर्व की चतुर्दशी तिथि पुरे वर्ष में एक मात्र यही ऐसा दिन होता है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है।मान्यताओं के अनुसार यम का दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए। दरअसल दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है।नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली जब पर घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।दिए को सतंजा यानी सात प्रकार के अनाज के ऊपर रखा जाता है।खाने में प्याज-लहसुन न खाएं और देर तक सोने से बचें।कथाओं के अनुसार जो जातक दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।दीप जलाए समय निम्न मंत्र पढ़ा जाता है_

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |

त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम

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छोटी दिवाली पर यमराज की पूजा करने से घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बना रहता है।दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग प्रदोष काल के दौरान चार मुखी दीया सरसो के तेल में जलाते हैं जो यम देव को समर्पित होता है।घर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं।कुछ लोग दिए को घर से बाहर दक्षिम दिशा में नाली के पास भी जलाते हैं। दीपक जलाने के बाद पूरे समर्पण, विश्वास और भाव के साथ भगवान से प्रार्थना करते और अपने परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित होता है।दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा मानी जाती है। कथाओं के अनुसार जो जातक दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।यमराज की कृपा दृष्टि प्राप्त करने हेतु छोटी दिवाली उन्हें समर्पित है।

 

रजनी प्रभा

सी/ओ,कुंदन कुमार,जारंग डीह, गायघाट,मुजफ्फरपुर,बिहार(843118)

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