आज बर्थ डे स्पेशल : 35 रुपये की सैलरी, 16 किलोमीटर का पैदल सफर, संघर्ष ने नाना पाटेकर को बनाया सुपरस्टार*

*आज बर्थ डे स्पेशल : 35 रुपये की सैलरी, 16 किलोमीटर का पैदल सफर, संघर्ष ने नाना पाटेकर को बनाया सुपरस्टार*

 

*मुंबई:* नाना पाटेकर इन दिनों अपनी नई फिल्म ‘वनवास’ के प्रमोशन में काफी व्यस्त हैं। इस फिल्म से एक्टर मां-बाप और बच्चों के बीच बदलते रिश्तों की सच्चाई को दिखाने वाले हैं। हाल ही में इसका ट्रेलर सामने आया था कि जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला था। प्रमोशन के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक रोचक किस्सा सुनाने वाले हैं जो उनकी पहली नौकरी से जुड़ा हुआ है।

*कितनी थी नाना पाटेकर की पहली सैलरी*

फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अभिनेता अपनी अनोखी एक्टिंग स्किल्स से फैंस को इंप्रेस करने का एक मौका नहीं छोड़ते। नाना पाटेकर को एक ऐसे कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिनकी डायलॉग डिलिवरी और टाइमिंग के सभी कायल हैं। अभिनेता अपने दमदार अभिनय की बदौलत आज लोगों के बीच अपनी पहचान बनाए हुए हैं। इन दिनों एक्टर फिल्म वनवास को लेकर लाइमलाइट में चल रहे हैं।

हाल ही में एक्टर ने जागरण डॉट कॉम के साथ बात करते हुए बताया कैसे उनका बचपन गरीबी में बीता। नाना पाटेकर पिछले 4 दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। उनके लिए ये सफर कितना मुश्किल था और यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने क्या क्या झेल इस पर भी अभिनेता खुलकर बात की।

इतनी थी अभिनेता की पहली सैलरी

वनवास फिल्म पर बात करते हुए उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद किया। नाना पाटेकर ने बताया कि कैसे कम उम्र में ही उन्हें नौकरी करनी पड़ी थी। अभिनेता ने बाताया कि उन्हें करियर की पहली जॉब में उन्हें 35 रुपए मिलते थे जिसके लिए रोज वो 8 किलोमीटर चलकर जाना और आना करते थे। पेट पालने के लिए बहुत कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। वह फिल्मों के पोस्टर्स को पेंट करने का काम करते थे।

*क्या है वनवास की कहानी?*

बात करें अनिल शर्मा निर्देशन में बनी मूवी की तो ये इस बात पर रोशनी डालती है कि कैसे प्यार और स्वीकृति खून के रिश्तों से भी ज्यादा गहरे रिश्ते बनाती है। फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक पिता अपने बच्चों से बेइंतहा प्यार करता है लेकिन उसके बच्चों को अपने पिता की कोई फिक्र नहीं होती और वो उन्हे एक मेले में ले जाकर छोड़ आते हैं। इस दौरान उन्हें एक इंसान मिलता है। यही से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी।

 

दुमका से जोशी न्यूज़ रिपोर्टर हेमंत स्वर्णकार की रिपोर्ट

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