सिंदरी में रोजगार की जंग : जेएमएस का भब्य प्रदर्शन, स्थानीय युवाओं को हक दिलाने का वादा

सिंदरी में रोजगार की जंग : जेएमएस का भब्य प्रदर्शन, स्थानीय युवाओं को हक दिलाने का वादा
सिंदरी | सिंदरी में मंगलवार को बेरोजगारी की चिंगारी ज्वालामुखी का रूप लेती दिखी। जनता मजदूर संघ (जेएमएस), सिंदरी शाखा ने फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) द्वारा जारी वेस्ट मटेरियल छाई टेंडर के खिलाफ डोमगढ़ क्षेत्र में एक बड़े प्रदर्शन की घोषणा की।
प्रदर्शन का मुख्य निशाना बनी है जय लक्ष्मी फ्यूल्स कंपनी, जिस पर आरोप है कि उसने टेंडर प्रक्रिया में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का वादा तोड़ा और बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी।
संगठन ने दी चेतावनी :
जेएमएस के महामंत्री अभिषेक सिंह और सिंदरी शाखा सचिव वेद प्रकाश ओझा ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा :
एफसीआई जैसे सार्वजनिक संस्थानों के टेंडर में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। पारदर्शिता की कमी ने सैकड़ों नौकरियों को खत्म कर दिया है। अगर स्थानीयों को रोजगार नहीं मिला, तो आंदोलन और तेज होगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टेंडर प्रक्रिया में स्थानीय जनभावनाओं और अधिकारों की खुली अनदेखी की गई है, जो किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि टेंडर जो मात्र 7 करोड़ का हुआ है, पर धरणा पर बैठे लोगों ने कहा ये टेंडर कम से कम 15 करोड़ के आसपास होना चाहिए था, किन्तु एफसीआई मैनेजमेंट के रूप में बैठे अधिकारी जिनकी आय से ज्यादा संपत्ति होने की चर्चा सार्वजनिक मंच पर हो चुकी है, उनलोगों के जेब गर्म कर औने पौने रेट में टेंडर कर दिया गया है। इसकी सही से जाँच हो तो श्याद इसमें एफ सी आई मैनेजमेंट के साथ कई वाइट कॉलर वालों की भी नाम समाने आने की पूरी संभावना है।

जेएमएस के साथ सैकड़ों बेरोजगार होंगे सड़कों पर
संगठन का दावा है कि इस मुद्दे को लेकर सैकड़ों बेरोजगार युवा आंदोलन में शामिल हैँ, जो आनेवाले वक्त में हजारों की संख्या हो सकती है। यह प्रदर्शन सिर्फ एक टेंडर या कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि स्थानीय हक और सम्मान की लड़ाई है।
प्रशासन और एफसीआई से जवाब तलब
जेएमएस ने साफ कहा है कि यदि कंपनी और एफसीआई जवाब नहीं देते, तो यह मामला राज्य स्तर पर ले जाया जाएगा। संगठन ने प्रशासन से भी तत्काल हस्तक्षेप और जांच की मांग की है। जनता की आवाज या राजनीतिक दबाव?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह आंदोलन एक वास्तविक समस्या पर आधारित है और युवाओं की हताशा को दर्शाता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि एफसीआई और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अख्तियार करती है। यह मुद्दा यदि समय रहते नहीं सुलझा, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन बड़े सामाजिक और राजनीतिक स्वरूप ले सकता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी एफ सी आई मैनेजमेंट एवं प्रबंधक होंगी।

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